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जवानी अल्फाज़ो में सिमट रही है।
जवानी अल्फाज़ो में सिमट रही है।
जवानी अल्फाज़ो में सिमट रही है।
जवानी अल्फाज़ो में सिमट रही है, ऐ खुदा हर किसी के होंठो पे हँसी खिला दे,
दिल में जख्म लिए बैठे है यहां, इन सब आशिको को इनकी महबूब से मिला दे।
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भूल जाऊंगा उसे ,ये सोच कर उसकी नाम की शायरियां लिखना छोड़ दिया था,
पर दोस्त कमीना निकले, सपना-सपना कह कर...हाथो में कलम थमा दिए।
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बिखेर दो मेरी दर्द भरी अलफ़ाज़ उसकी गली में,
सुना है वो किसी और से दिल लगा बैठी है।
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