जरा सी फुर्सत निकाल कर हमारा क़त्ल ही कर दो,
यूँ तेरे इन्तजार में तड़प-तड़प के मरना हमसे नहीं होता।
+++Wafa Shayari+++
तेरी "याद' और मेरी ये "तन्हाई",
बहुत खुश है ये दोनों एक दूसरे के साथ।
+++Wafa Shayari+++
अब मैं समझा तेरे रुखसार पे तिल का मतलब,
दौलत ऐ हुस्न पे दरबान बिठा रखा है।
+++Wafa Shayari+++
हुस्न भी तेरा, अदाएं भी तेरी, नखरे
भी तेरे,
शोखियाँ भी तेरी, कम से कम इश्क़ तो मेरा रहने दे।
भी तेरे,
शोखियाँ भी तेरी, कम से कम इश्क़ तो मेरा रहने दे।


No comments:
Post a Comment