घर के बाहर ये दीवाना तेरा इंतेजार आज भी करता है- Love Shayri

घर के बाहर ये दीवाना तेरा इंतेजार आज भी करता है- Love Shayri


ना कर तंग प्यार करने से ऐ ज़िन्दगी,

तेरी कसम तुझसे भी हसींन है वो।

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कुछ तो गहरी बात जरूर होती होगी चाहत में...

वरना एक लाश के लिये कोई ताजमहल नही बनाता।

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इस शहर में भी तुझे कोई ऐसा प्यार आज भी करता है,

घर के बाहर ये दीवाना तेरा इंतेजार आज भी करता है।

 

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बिखरी हुई वो ज़ुल्फ़ इशारों में कह गई.,

मैं भी शरीक हूँ तेरे हाल-ए-तबाह में।

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बिखरी हुई वो ज़ुल्फ़ इशारों में कह गई,

मैं भी शरीक हूँ तेरे हाल-ए-तबाह में।

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अगर हो इजाजत तो वादा करता हु,

ना होंठो पे लिस्टिक रहने दूंगा,
ना आँखों से काजल हटने दूंगा।

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मैंने उनका गुरूर भी कुछ ऐसे तोड़ दिया

आंखों को चूमा उनके, होठों को छोड़ दिया।


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