आओ आगोश में की , इश्क़ की अंजाम हो जाये- Two Line Love Shayri

आओ आगोश में की , इश्क़ की अंजाम हो जाये- Two Line Love Shayri


--------------------------------------

आओ आगोश में कि ,इश्क का अंजाम हो जाएँ,

थोड़ा बुझें थोड़ा जलें ,आज की शाम हो जाए।


--------------------------------------


कोइ ताल्लुक है ग़हरा जो खत्म नहीं होता,

हमने देखा है कइ बार उनसे किनारा कर के।


--------------------------------------


लोग तो महफिल में बस दिल दुखाने आते हैं,

उन्हें क्या खबर दिलजले हर गम सह जाते हैं।


--------------------------------------


काश बचपन में मोहब्बत के टिके लगे होते,

तो आज हम हिन्दू मुस्लिम मे ना भिड़े होते।


--------------------------------------


रुह का रूह से मिलना भी जरुरी है,

महज़ हाथों को थामना साथ नहीं होता ।


--------------------------------------


तूने अपनी बाहों का सहारा ही क्यों दिया,

जब मुझे इस तरहा बेसहारा ही करना था।



-----------------------------------------------



ये वो जाम नहीं जो मयकसी में पीया जाये,

ईश्क के मयखाने घर चले आते हैं पता पुछकर।



-----------------------------------------------




No comments:

Post a Comment

Contact Us

Name

Email *

Message *

Back To Top