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आओ आगोश में की , इश्क़ की अंजाम हो जाये- Two Line Love Shayri
आओ आगोश में की , इश्क़ की अंजाम हो जाये- Two Line Love Shayri
आओ आगोश में की , इश्क़ की अंजाम हो जाये- Two Line Love Shayri
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आओ आगोश में कि ,इश्क का अंजाम हो जाएँ,
थोड़ा बुझें थोड़ा जलें ,आज की शाम हो जाए।
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कोइ ताल्लुक है ग़हरा जो खत्म नहीं होता,
हमने देखा है कइ बार उनसे किनारा कर के।
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लोग तो महफिल में बस दिल दुखाने आते हैं,
उन्हें क्या खबर दिलजले हर गम सह जाते हैं।
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काश बचपन में मोहब्बत के टिके लगे होते,
तो आज हम हिन्दू मुस्लिम मे ना भिड़े होते।
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रुह का रूह से मिलना भी जरुरी है,
महज़ हाथों को थामना साथ नहीं होता ।
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तूने अपनी बाहों का सहारा ही क्यों दिया,
जब मुझे इस तरहा बेसहारा ही करना था।
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ये वो जाम नहीं जो मयकसी में पीया जाये,
ईश्क के मयखाने घर चले आते हैं पता पुछकर।
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