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इस मजहबी दुनिया में अपना दर्द छुपा रखा हूं- Hindi Dard Shayri
इस मजहबी दुनिया में अपना दर्द छुपा रखा हूं- Hindi Dard Shayri
इस मजहबी दुनिया में अपना दर्द छुपा रखा हूं- Hindi Dard Shayri
दिल-ए-सुकून की तलाश में खुद को उलझा रखा हु,
इस भीड़ में भी तन्हाई से रिश्ता बना रखा हूं...!!
याद तो उसकी आज भी आती है यारो,
पर इस मजहबी दुनिया में अपना दर्द छुपा रखा हु...!!
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नफरत है मुझे मजहब की देकेदारो से,
इनकी रस्म रिजावो से,
कमीनो ने अलग कर दिया उसको, मुझसे अपनी अपनी झूठी झूठी बातो से।
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सलमान भाई मेरा घर भी कल्पना के घर से दूर ना था..
लेकिन कुछ उसके अपने लोगो को मेरा और कल्पना का मिलना मंजूर ना,
हम उठा भी सकते थे कल्पना को उसके घर से,
लेकिन ये हमारे घर दस्तूर ना था।
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अब तुझे न सोचू तो, जिस्म टूटने-सा लगता है..
एक वक़्त गुजरा है तेरे नाम का नशा करते~करते...!!
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